इतिहास

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कबूलपुर गाँव का इतिहास






कबूलपुर गाँव हरियाणा के रोहतक जिले का एक बड़ा गाँव है। यह जिला मुख्यालय से रोहतक-बेरी मार्ग पर महज 15 किलो



मीटर दूर स्थित है। इसके पूर्व में गोछी, पश्चिम में मसूदपुर और सूडाणा, उतर में रिटोली और दक्षिण में बेरी गाँव की सीमा



लगती है। सभी सीमावर्ती गाँव से पक्की सड़क मार्ग से संपर्क है। गाँव की सीमा बहुत बड़ी है। इसका रकबा 20000 बीघा है



जबकी लुहाच गौत्र के लोगों के पास 120 बीघा जमीन है। गाँव में दो पाना हैं जिनको दरकान पान और भगत पाना के नाम से



जाना जाता है। दरकान पान के पास 900 बीघा और भगत पाना के पास 1100 बीघा जमीन है। सारा रकबा नहरी है



जिसकी सिचाई जवाहर लाल नेहरू नहर और उससे निकला बसाण-भूतान रजबाहा से होती है। गाँव की कुल आबादी



लगभग 5000 लोगों की है जिसमें से 10 परिवार लुहाच गौत्र के लोगों के हैं। गाँव में लगभग 3500 वोट हैं। 2021-26 की



योजना के तहत अमर सिंह लुहाच इस गाँव का सरपंच है। गाँव में लुहाच के अलावा डागर, नहरा, धनखड़ और कालीरमण



गौत्र के लोग भी रहते है। गाँव में एक 10 वीं कक्षा तक लड़कों का और एक लड़कियों का स्कूल है। इसके अतिरिक्त एक



हस्पताल, एक पशु हस्पताल, पाँच आंगनबाड़ी, पाँच चौपाल, पाँच मंदिर और दो जोहड़ हैं।



नीमली गाँव की वंशावली के पेज संख्या 2 के मुताबिक थानाण पाना में 13 वीं पीढ़ी के दानी राम लुहाच के छः बेटे थे। उनमें



से तीसरे नम्बर के बेटे बालको राम के दो बेटे हुए थे। छोटे बेटे सरभू राम की शादी रोहतक जिले के कबूलपुर गाँव में डागर



गौत्र की श्यामा कुमारी से हुई थी। सरभू राम व श्यामा देवी से निमली में रहते दो बेटे पैदा हुए थे। बड़े बेटे का नाम नन्द राम



और छोटे बेटे का नाम बलकारा था। श्यामा देवी के परिवार में लोगों की कमी महसूस होती थी। आए दिन पड़ोसी श्यामा देवी



के परिवार वालों को डराते धमकाते रहते थे। इस कारण से उसके पिता ने अपने दामाद को सपरिवार कबूलपुर में बुलाकर



120 बीघा जमीन देकर बसा लिया। इस प्रकार कबूलपुर के लुहाच गौत्र के प्रथम पुरुष सरभू राम लगभग 1875 ईस्वी में



नीमली गाँव से आए थे और तब से अब तक इस गौत्र की 8 वीं पीढ़ी चल रही है।