इतिहास
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भड़ताना गाँव का इतिहास
भड़तानाहरियाणा के जींद जिले की सफीदों तहसील का एक मध्यम आबादी का गाँव है। यह तहसील मुख्यालय से 15 किलो मीटर और जिला मुख्यालय से 19 किलो मीटर दूर है। इसके पूर्व में लुदाना मोरखी, दक्षिण में ललित खेड़ा,भैरों खेड़ा, पश्चिम में चाबरी, खरक रामजी,आसन, सिवाहा और उत्तर में धड़ोली और गांगोली गाँव की सीमा लगती है। सभी गाँव से सड़क मार्ग से संपर्क है। गाँव में लुहाच के अतिरिक्त नरवाल, मलिक, ढांडा, खटकड़,दहिया, चहल और धुल गौत्र के परिवार भी रहते हैं। गाँव की कुल आबादी लगभग 4000 लोगों की है जो कि 700 परिवार हैं और इन में से 75 परिवार लुहाच गौत्र के हैं। गाँव के लोगों का मुख्य पेशा खेती-बाड़ी है। लुहाच परिवार के पास 270 एकड़ जमीन है। सारी जमीन नहरी है। गाँव के साथ से सुंदर ब्रांच जो कि बहुत बड़ी नहर है गुजरती है जिसमें से एक नंबर-3 रजबाहा और दूसरा छाबरी रजबाहा निकलते हैं जिन से पूरे गाँव की सिचाई होती है।
भड़ताना गाँव दो राजमार्ग के बीच पड़ता है। एक जींद-सोनीपत ग्रीन फील्ड हाइवै 352 ए और दूसरा नारनौल-इस्माइलाबाद हाइवै 352 डी। गाँव में एक माध्यमिक स्कूल,एक पशु चिकित्सालय, एक 15 साल पुराना गुरुकुल जिसका नामआत्मा नन्द श्रुति धाम है। इसमें लगभग 300 विद्यार्थी है। इसके अलावा गाँव में तीन मंदिर और चार जोहड़ भी हैं।
इस गाँव के प्रथम लुहाच पुरुष लगभग 1775 ईस्वी में चरखी दादरी के नाँधा गाँव से आए थे। नाँधा वंशावली के मुताबिक 29 वीं पीढ़ी मेंकालू राम लुहाच के दो बेटे नोपा राम और हीरा लाल थे। नोपा राम नाँधा में ही रह गया जबकि हीरा लाल अपने परिवार के साथ महम के पास खेड़ी महम आ गया। यहाँ कुछ समय रुकने के बाद वह चिड़ी गाँव में आ गया। चिड़ी मुसलमान बाहुल्य गाँव था। यहाँ पर भी गाँव के लोगों ने हीरा लाल को रहने की अनुमति नहीं दी। हीरा लाल यहाँ से उतर पश्चिम की तरफ चल पड़ा और तत्कालीन जींद रियासत के छोटे से गाँव भड़ताना पहुँच गया। गाँव में पहले से कई जाट गौत्र के लोग रहते थे। उन्होंने हीरा लाल को न केवल यहाँ बसने की अनुमति दी बल्कि लगभग 270 एकड़ जमीन भी दे दी। हीरा लाल के बाद से अब तक भड़ताना में 10 वीं पीढ़ी चल रही है। इसी दौरान अब से लगभग 100 साल पहले जींद जिले के ही निरजन गाँव में पता चला कि एक लुहाच परिवार रहता है। भड़ताना के लुहाच भाई इस परिवार को भी अपने पास ले आए और अपनी जमीन से कुछ जमीन भी दे दी। क्योंकि हीरा लाल लुहाच का परिवार खेड़ी महम में कुछ साल रुका था इस लिए आज भी भड़ताना में लुहाच परिवार को खेड़ी वाला के नाम से जाना जाता है।