इतिहास
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ढुँढवा गाँव का इतिहास
ढुँढवा गाँव हरियाणा के कैथल जिले की कलायत तहसील का एक काफी बड़ा गाँव है। यह जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर और तहसील मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके पश्चिम में जींद जिले की और उत्तर में पंजाब राज्य की सीमा लगती है। इसके पूर्व में कोलेखा, खेड़ी लाबा, पश्चिम में उझाणा, अंबरसर, उत्तर में कुराड़ और दक्षिण में गुरुसर गाँव की सीमा लगती है। इस गाँव में सिहमर गौत्र का खेड़ा है। इस गाँव में लुहाच के अलावा सिहमर, दीनदाण, सिंधू, सहरावत, चौहान, खूंगा और नरवाल गौत्र के लोग रहते हैं। ढुँढवा एक सम्पन्न गाँव है। इस गाँव के पास लगभग 13000 बीघा जमीन है जिसमें से 1000 बीघा अकेले लुहाच गौत्र के पास है। पूरी जमीन नहरी है जिसकी सिचाई दो रजबाहों (माइनर) द्वारा होती है। इस गाँव की कुल आबादी लगभग 4000 लोगों की है जिसमें से 25 परिवार लुहाच गौत्र के हैं। इसमें एक उच्च माध्यमिक स्कूल, दो प्राथमिक शिक्षा स्कूल, एक सरकारी दवाखाना, पाँच जोहड़(तलाब)
चरखी दादरी जिले के नाँधा गाँव के 31 वीं पीढ़ी के हुक्मा राम लुहाच का पुत्र किसाली (ख्याली) राम नाँधा से अपने परिवार के साथ पानी की तलास में महम होते हुए लाखनमाजरा के पास चिड़ी गाँव में आ गया । चिड़ी गाँव मुस्लिम बाहुल्य था। इस गाँव की जमीन समतल व उपजाऊ थी। खेती के लिए जमीनी पानी भी मीठा था। इसलिए किशाली ने गाँव के लोगों से चिड़ी में रहने के लिए जमीन मांगी लेकिन गाँव वालों ने किशाली को हिन्दू परिबर होने के नाते यहां रहने के लिए मना कर दिया। इस किए किशाली राम यहाँ से जींद होते हुए नरवाना के पास उझाणा गाँव में आ गया। यह गाँव पंजाब का तराई का इलाका था। पानी की कोई कमी नहीं थी। गाँव में सब हिन्दू परिवार के सिहमार, चहल, ढिल्लन गौत्र के लोग रहते थे। इस लिए लोगों ने खुशी से इस महमान परिवार को रहने के लिए जमीन और खेती के लिए भी जमीन दे दी। इस प्रकार किशाली का परिवार यहीं पर बस गया।
इस प्रकार लगभग 1775 ईस्वी में पहला लुहाच परिवार उझाणा गाँव में आकर बस। किसाली का उप नाम ख्याली राम था। खयाली राम के दो बेटे बुध राम और मामराज थे। लगभग अगले 100 साल तक दोनों भाइयों के वंशज इसी गाँव में रहे। उसके बाद 1875 ईस्वी में दोनों भाइयों ने पास के गाँव ढुँढवा में जमीन खरीद ली और बाद में दोनों भाइयों के कुछ वंशज ढुँढ़वा में रहने लगे। इस प्रकार दोनों भाइयों के वंशज दोनों गाँव में रहते हैं।