चौ उमराव सिंह लुहाच भारतीय अंग्रेजी सेना द्वारा रायसाहब की उपाधि से सम्मानित, शीशपाल जी द्वारा लिखित गांव भड़ंगपुर की वंशावली पुस्तक में इसका वर्णन है।F.I)

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लुहाच वंश मेहनतकश जाट समुदाय का एक गोत्र है। लुहाच वंश का इतिहास छठी शताब्दी लगभग 1500 साल पुराना है इतिहासकारो के अनुसार इसकी उत्पत्ति अग्निवंशी राजपूत से हुई है यह गोत्र अग्निवंश में वैदिककालीन जाट गोत्र है । इनका निवास स्थान राजस्थान के आबूगढ़ क्षेत्र में था। लुहाच वंश के लोग प्राचीन काल से ही युद्ध कला में निपुण रहे है जो अपनी वीरता एवम बलिदान के लिए जाने जाते है इनका जीविकोपार्जन हेतु मुख्य व्यवसाय खेती और पशुपालन था वर्तमान मे लुहाच वंश के अत्यधिक फैलाव होने के कारण और समयनुसार कुछ लोगो ने शहरी नौकरियों के पक्ष में कृषि को छोड़ दिया और उच्च सामाजिक स्थिति का दावा करने के लिए अपनी प्रमुख आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए शहर की तरफ पलायन करने लगे है। कुछ समय पूर्व तक लुहाच वंश के लोगो को अपने वंश के फैलाव का पता नहीं था । रिटार्ड कर्नल कर्मबीर सिंह लुहाच जो की भारतीय सेना मे लगभग 40 वर्ष अपनी सेवा देने के उपरान्त 30 अप्रैल 2019 को सेवानिवृत होने के बाद जनवरी 2021 से अपने वंश का इतिहास और वंश के फैलाव का पता लगाने की एक मुहिम की शुरआत की और उनके इस अथक प्रयास से 1 महीने मे लुहाच गोत्र के 37 गाँवो का पता लगा लिया गया था जिसके फलस्वरूप आज उत्तरी भारत मे हरियाणा , राजस्थान व् उत्तेर प्रदेश के 42 गाँवो मे लुहाच गोत्र के लोग रहते है। फिर शोसल मिडिया की मदद से एक ग्रुप बनाकर सभी गाँवो के लुहाच भाईयों को एक मंच पर एकत्रित किया गया लोग आपस मे बात करने लगे कारवाँ बढ़ता गया और देखते ही देखते सभी गाँवो के लुहाच भाई इतने समीप आ गए कि जैसे एक ही संगठन व् एक ही परिवार के सदस्य हो। उसके बाद गुरुग्राम मे निवास करने वाले कुछ लुहाच भाईयों ने मिलकर सभी गाँवो के लुहाच भाईयों को आमंत्रित कर 14 फरवरी 2021 को एक विशाल लुहाच मिलन समारोह का आयोजन किया जिसमे लगभग 30 गाँवो से 500 लुहाच भाई सम्लित हुए और इस समारोह का प्रारम्भ हवन द्वारा किया गया हर गांव से एक प्रितिनिधि ने मंच पर आकर अपने विचार व्यक्त किये और अपने गांव के बारे में जानकारी दी। इस समारोह मे आपसी भाईचारा , सामाजिक कुरूतियों से छुटकारा तथा अन्य समाज के लोगो से मिलजुलकर रहने पर बल दिया गया और आपसी मनमुटाव को भुलाकर एक दूसरे कि सहायता द्वारा लुहाच गोत्र को अधिक शक्तिशाली बनाया जा सके इस बात पर विचार विमर्श किया गया साथ ही समारोह मे यह शपथ भी दिलाई गयी कि अपने गोत्र (लुहाच) के परति सदैव निष्ठावान रहेंगे इसके बाद सब गाँवो को वंश के मुताबिक जोड़ने के लिए हर गाँव से वंशावली बनाने का आह्वान किया गया जिसके फलस्वरूप सभी लुहाच भाईयो ने अपने- अपने गाँव की वंशावली बनाकर एक डिजिटल पटल पर साझा की और फिर कर्नल कर्मबीर सिंह लुहाच द्वारा इन वंशावली को पीढ़ी संख्या वंश की मुताबिक लगाकर कम्प्यूटरीकृत करने की लिए चरन सिंह लुहाच गाँव- नगला उग्रसैन, जिला - बुलन्दहर (उत्तर प्रदेश) की पास भेज दिया गया आज लगभग 39 गाँवो की वंशावली को चरन सिंह लुहाच द्वारा कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया इसी के आधार पर लुहाच वंश का सम्पूर्ण इतिहास लिखा जा रहा है और साथ ही साथ लुहाच वंश नामक पुस्तक का लेखन कार्य भी किया जा रहा है। इसके अलावा लुहाच वंश के इतिहास को इन्टरनेट पर साझा किया जाएगा ताकि विश्व मे कोई भी कही से भी लुहाच वंश के इतिहास की पूरी जानकारी ले सके। लुहाच वंश का सम्पूर्ण इतिहास देखने की लिए इतिहास पर क्लिक करे 

कर्नल कर्मबीर सिंह लुहाच                                                                        चरन सिंह लुहाच
गाँव- गुगाहेड़ी                                                                                        गाँव- नगला उग्रसैन,
जिला - रोहतक (हरियाणा )                                                                     जिला - बुलन्दहर (उत्तर प्रदेश)



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