इतिहास

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नाँधा गाँव का इतिहास

नाँधा हरियाणा की तहसील बाढ़डा, जिला चरखी दादरी का एक बड़ा गाँव है। इस गाँव की नींव लाल सिंह लुहाच ने 865 ईस्वी (विक्रम संवत 922) में वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तेरस के दिन शनिवार को एक टीबा जिसे आज खेड़ा के नाम से जाना जाता है के स्थान पर रखी थी। इसी स्थान पर एक कुआं खोदा गया जिसको बाद में रहट का रूप दे दिया गया। पीढ़ी दर पीढ़ी जनसंख्या बढ़ती गई और गाँव का आकार भी बढ़ता गया। लगभग 11 वीं शताब्दी के अंत तक खेड़ा का आकार काफी विस्तृत हो चुका था। 12 वीं शताब्दी के आरम्भ से लोग धीरे धीरे बावड़ी के इलाके में आकर मकान बना कर रहने लगे। इस प्रकार 14 वीं शताब्दी के अंत तक खेड़ा बिल्कुल खाली हो गया और नाँधा गाँव उत्तर दिशा में निचले इलाके में बस चुका था। खेड़ा पूर्ण रूप से खंडर में परिवर्तित हो चुका था। जो कुआं लाल सिंह परिवार ने खेड़ा में खोदा था वह भी बंध हो गया। खेड़ा की जमीन को पंचायती जमीन में तबदील कर दिया गया। बाद में चकबंदी के कारण इस जमीन को गाँव के कुछ लोगों को दे दिया गया। इस जगह पर आज भी जमीन की खुदाई करने से पुराने अवशेष मिलते हैं।

इस गाँव की नींव लुहाच गौत्र के प्रथम पुरुष लाल सिंह ने रखी थी इस लिए नाँधा में लुहाच का खेड़ा माना जाता है। नाँधा के सीमावर्ती गाँव उत्तर में हँसवास कलाँ,हँसवास खुर्द, बाधड़ा, पूर्व में धनाश्रि, दक्षिण पूर्व में ढाणी ढोला, सोहासड़ा, दक्षिण में श्यामपुरा, पश्चिम में लाड़, खेड़ , बीसलवास और उतर पश्चिम में भांडवा गाँव पड़तेहैं।नाँधा गाँव की सीमा बहुत बड़ी है। इस गाँव के पास लगभग 20,000 बीघा जमीन है जो कि आस पास के सब गाँव में सबसे ज्यादा है। नाँधा गाँव की सीमा में ही विक्रम संवत 1927 (1870 ईस्वी)में उत्तर-पूर्व दिशा में कादमा व चांदवास गाँव से श्योराण और थीलओड़ गौत्र के कुछ परिवार आकर बस गए थे। इस गाँव के पास लगभग 6200 बीघा जमीन है जो कि नाँधा की जमीन से ही दी गई थी।वैसे तो इलाका बारानी है लेकिन गाँव के उत्तर व दक्षिण दिशा से दो छोटी छोटी नहर भी गुजरती हैं जिनसे कुछ निचले इलाकों में सिचाई होती है। ऊँचे इलाकों में फवारा प्रणाली से सिचाई की जाती है। गाँव के बीच से बाधड़ा-सतनाली सड़क गुजरती है। सतनाली रेलवे स्टेशनमहज 8 किलो मीटर की दूरी पर है। गाँव में 12 वीं कक्षा तक का स्कूल है। गाँव की आबादी लगभग 5000 लोगों की है। कुल आबादी का 50% लुहाच गौत्र के लोगों का है। लुहाच गौत्र के अलावा पुनिया, लांवा, खिचड़, पँगहाल, फलसवाल,सांगवान, मील, बलोदा, झाझड़िया, फोगाट, सहारण, ढाका, ढिल्लन, नहरा, कालीचरण, जाँगहू औरजाखड़गौत्र के जाट भी रहते हैं।गाँव से दो किलो मीटर पश्चिम में 20 वीं शदी के शुरू में कुछ परिवार खेतों में मकान बना कर रहने लग गए थे। आजकल आबादी बढ़ने के कारण इसने एक छोटे से गाँव का रूप ले लिया है। वैसे तो यह आबादी नाँधा गाँव का ही हिस्सा है और इसे ढाणी के नाम से जाना जाता है। गाँव के लोगों की धर्म के प्रति काफी आस्था है इसलिए गाँव में तीन पुराने मंदिर दादा पंचवीर, दादा भैया और भगवान शिव का मंदिर है।

16 वी शताब्दी के अंत तक लुहाच परिवार की 26 पीढ़ी हो चुकी थी। 865 ईस्वी से 1500 ईस्वीतक कोई भी परिवार गाँव छोड़ कर कहीं नहीं गया।

कई कई साल तक लगातार बारिश न होने के कारण लोगों नेपानी की तलाश में वर्तमान हरियाणा व पश्चिमी उतर प्रदेश के सतलज, यमुना और गंगा के तराई के इलाकों की तरफ विस्थापन करना शुरू कर दिया। पहला पहला विस्थापन20 वी पीढ़ी से तीन भाई गुगन लुहाच, पहाड़ सिंह लुहाच और भैराज लुहाच ने किया। पहाड़ सिंह अपने परिवार के साथ पैंतावास चला गया। जबकि भैराज और गूगन दोनों भाईनाँधा से सपरिवार महम होते हुए फरमाना गाँव में आ गए। कुछ दिन यहाँ रहने के बाद दोनों भाई मोहला गाँव जो की आज कल हिसार जिले में पड़ता है में आकर रहने लगे। कुछ दिन के बाद गुगन अपने परिवार के साथ रोहतक जिले के गिरावड़ गाँव में आकर रहने लगा।फिर धीरे धीरे अलग अलग दिशाओं में विस्थापनआम बात हो गई। नाँधा से कब और कहाँ लुहाच परिवारों का विस्थापन हुआ यह निम्न प्रकार से है।

कहाँ से     कहाँ गए                           कौन गया कब गया

नाँधा       मोहला                             भैराज लुहाच                    1500 ईस्वी

नाँधा       गिरावड़                           गुगन लुहाच                      1500 ईस्वी

नाँधा       सिवाड़ा                           लोदी राम व सावल राम       1700 ईस्वी

नाँधा       नंगला उग्रसेन                    उग्रसैन लुहाच                    1775 ईस्वी

नाँधा       भंडोली                             होराम लुहाच                    1775 ईस्वी

नाँधा      ज्ञानपुर                              जोहरी लुहाच                    1775 ईस्वी

नाँधा      उझाना                              किशाली लुहाच                  1775 ईस्वी

नाँधा      ढुँढवा                                किशाली लुहाच                  1775 ईस्वी

नाँधा      पाढ़ला                              बागपत लुहाच                    1775 ईस्वी

नाँधा      भड़ताना                           हीरा लाल लुहाच                 1775 ईस्वी

नाँधा      नली हुसैनपुरभगवाना          राम लुहाच                         1800 ईस्वी

नाँधा      सेहरा                               राधा राम लुहाच                  1800 ईस्वी

नाँधा      भैंसाखुर                            साधु राम लुहाच                   1800 ईस्वी

नाँधा      खाद मोहन नगर                 ज्ञाना राम लुहाच                  1800 ईस्वी

नाँधा      अलखपुरा                         राम सिंह लुहाच                    1850 ईस्वी

नाँधा      सालहेवाला                      छीदा राम लुहाच                   1875 ईस्वी