इतिहास

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गाँव - नांधा

गाँव नाँधा, तहसील बाढ़ला, जिला चरखी दादरी, राज्य हरियाणा :-


इस गाँव के पूर्वजों की निकासी आबू पर्वत से लगभग सन 500 ° मानी जाती हैयहाँ के पूर्वज चौहान राजघराने से सम्बंधित हैपहली 5 पीढ़ीयों ने टोंक, नागौर, साम्भर व अजमेर पर शासन किया

6वीं पीढ़ी से (721 °) राजसिंहासन महाराजा नरदेव चौहान से छोटे भाई अजयराज चौहान को मिला तब से लुहाच के पूर्वज राजघराने से वंचित हो गए

तब हमारे पूर्वजों का कारवां आबू पर्वत - टोंक - नागौर - साम्भर - नागौर - चित्तोड़गढ़ - साम्भर - अजमेर - ददरेवा - सिद्धमुख - जड़वा होते हुए नाँधा में गए

गाँव नाँधा का इतिहास सन 855 ° से है, विक्रम समवत 922, बैसाख माह के शुक्ल पक्ष की तेरस, शनिवार के दिन गाँव के प्रथम पुरुष लाल सिंह लुहाच ने एक रेत के टीबे पर डेरा डाला और नाँधा गाँव की नींव रखी

आज इस टीबे को खेड़ा कहा जाता हैइस गाँव का खेड़ा लुहाच गौत्र का है

गाँव के लोग आज भी तेरस के दिन पूजा करते हैं

ऐसा अनुमान है की इस जगह पर लाल सिंह लुहाच के वंशज सदियों तक रहें होंगेफिर पानी की किल्लत के कारण एक किलोमीटर के दायरे में निचले इलाके में आकर धीरे- धीरे घर बनाकर रहने लगे होंगे

नीचे आकर उनको ज़मीनी पानी कुएँ रहट के रूप में प्राप्त हुआ

इस तरह जब सब लोग टीबे से आ गये तो यह जगह विरान बन गयी और समय के साथ-साथ यहाँ के मकान भी खण्डहर में तब्दील होकर टीबे के रेत के नीचे दब गए

आज भी इस जगह पर मिट्टी के पके हुए बर्तन, पानी के घड़े इत्यादि के अवशेष काफ़ी तादाद में मिलते हैं

नाँधा बसने के कुछ समय उपरांत यहाँ से एक परिवार दो किलोमीटर दूर खेतों में जाकर बस गयाइस स्थान को ढाणी कहा जाने लगाऐसा लगता है कि यह एक अन्य गाँव है लेकिन आज भी ढाणी गाँव नाँधा का ही भाग है

सन 865 ° से आज तक (2021) समय-समय पर विस्थापन होता रहा हैकुछ लोग राजस्थान की तरफ चल पड़े, कुछ लोग हरियाणा के अन्य गावों में चले गए और कुछ यमुना नदी पार कर उत्तरप्रदेश में जाकर बस गए

ले° कर्नल कर्मबीर सिंह (गुगाहेड़ी-गिरावड़) जी ने जिज्ञासावस अब तक राजस्थान (5), हरियाणा (16) उत्तरप्रदेश (22) के कुल 43 गाँओं का पता लगा लिया हैइन सब पूर्वजों की निकासी गाँव नाँधा से है या फिर नाँधा से बसे गाँव से

इस इलाके में नाँधा गाँव की सीमा सबसे बड़ी हैनाँधा के पास तीन बौनी (3 x 5200 बीघा ) ज़मीन है

यहाँ का मुख्य पेशा खेती-बाड़ी और सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना है



नाँधा से विस्थापन का विवरण इस प्रकार है :-


01. बाजियावास, सीकर, राजस्थान  14वीं 1200 °

02. गिरावड़, रोहतक, हरियाणा  20वीं 1500 °

03. पैन्तावास, चरखी दादरी, हरियाणा  23वीं 1600 °

04. मोहला, हिसार, हरियाणा  23वीं 1600 °

05. भड़ताना, जींद, हरियाणा  27वीं 1775 °

06. उग्रसेन नंगला, मुज्जफ़रनगर, उत्तरप्रदेश  28वीं 1775 °

07. भंडोली, मुजफ़रनगर, उत्तरप्रदेश  28वीं 1775 °

08. ज्ञानपुर, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश  28वीं 1775 °

09. उझाना, जींद, हरियाणा  29वीं 1775 °

10. ढूंढ़वाँ, कैथल, हरियाणा  29वीं 1775 °

11. पाढला, कैथल, हरियाणा  29वीं 1775 °

12. सिवाड़ा, भिवानी, हरियाणा  32वीं 1800 °

13. सेहरा, मुजफ़रनगर, उत्तरप्रदेश  32वीं 1825 °

14. भैंसाखुर,मुजफ़रनगर, उत्तरप्रदेश  32वीं 1825 °

15. खाद मोहन नगर, मुजफ़रनगर, उत्तरप्रदेश  32वीं 1825 °

16. नली हुसैनपुर, मुजफ़रनगर, उत्तरप्रदेश  32वीं 1825 °

17. अलखपुरा,भिवानी, हरियाणा  34वीं 1850 °

18. साहलेवाल, भिवानी, हरियाणा  35वीं 1900 °