इतिहास
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सालहेवाला गाँव का इतिहास
सालहेवाला गाँव हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम तहसील का एक मध्यम आबादी वाला गाँव है। यह तहसील मुख्यालय से तोशाम-बहल मार्ग पर 22 किलो मीटर और जिला मुख्यालय से 40 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। इस गाँव के पूर्व में हसाण और देवराला, पश्चिम में रोढा, उतर में पटोधी और बुसाणव दक्षिण में संडवाऔरधारवाण बास गाँव की सीमा लगती है। सभी गाँव का पक्की सड़क से संपर्क है।गाँव का रकबा 2500 एकड़ है जिसमें से लुहाच परिवार के पास 25 एकड़ जमीन है। इस गाँव की कुल आबादी लगभग 5000 लोगों की है जिसमें से लुहाच परिवार के 30 लोग रहते है। गाँव की जमीन नहरी है जिसकी सुंदर ब्रांच से निकले दो रजबाहे सदवा माइनर और बास माइनर से सिचाई होती है। खेती बाड़ी लोगों का मुख्य धंधा है हालांकि सरकारी नौकरी पर भी इस गाँव के काफी लोग हैं। इस गाँव में लुहाच के अतिरिक्त कालीरावणा, जाखड़, गोदारा,कसमा,मूँड और खरब गौत्र के लोग रहते हैं। सालहेवाला में एक 8 वीं कक्षा तक का स्कूल और दो मंदिर हैं। गाँव में कोई जोहड़ नहीं है पशुओं के लिए सरकारी पानी की सप्लाई से सामूहिक खोल बना के पानी पिलाया जाता है।
सालहेवाला में लुहाच गौत्र के प्रथम पुरुष छिददा राम लुहाच चरखी दादरी के नाँधा गाँव से आए थे। छिददा राम सपरिवार लगभग 1875 ईस्वी में सालहेवालागाँव आ गया। सालहेवालागाँव तोशाम-बहल सड़क पर तोशाम से 22 किलो मीटर की दूरी पर है।छिददा राम लुहाच के सालहेवाला में आने के बाद अब तक 6 वीं पीढ़ी चल रही है।
छिददा राम लुहाच के चार बेटे थे। इनके नाम खूबी राम, बल्ला राम, चेत राम और राम रत्न थे। खूबी राम और बल्ला राम अविवाहित थे जबकि बाकी दो भाई विवाहित थे जिनके वंशज आज भी सालहेवाला में रहते हैं। खूबी राम दूसरे विश्व युद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज के सैनिक थे। आजादी की लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर रहने के कारण वह अंग्रेजी हकूमत की नजरों में चढ़ गए। इस कारण उनको अंग्रेजों ने गिरफ्तार करके अंडमान व निकोबार जिसे उस समय काला पानी कहा जाता था भेज दिया। वहाँ खूबी राम ने बहुत पड़ताड़नाझेली। क्योंकि खूबी राम आजादी के मतवाले और सच्चे देश भगत थे इस कारण अंग्रेजों ने उसकोसैलूलर जेल में फांसी पर लटका दिया। इस प्रकार भारत माँ के एक सपूत ने हँसते हँसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए। राम रतन स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना में भर्ती हो गया। वह एक बहुत ही अच्छा निशाने बाज सैनिक था। वह भारतीय सेना की सर्विसिज की निशाने बाजी की टीम का हिस्सा था। उसने अंतर राष्ट्रीय निशाने बाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत कर न केवल अपने गौत्र का नाम रौशन किया बल्कि अपने गाँव, राज्य, भारतीय सेना और देश का नाम रोशन किया।