इतिहास

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सिवाड़ा गाँव का इतिहास

 

सिवाड़ा गाँव हरियाणा के भिवानी जिले की बवानी खेड़ा तहसील का एक बड़ा गाँव है। यह तहसील मुख्यालय से 10 किलो मीटर और जिला मुख्यालय से 28 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। भिवानी- हाँसी मार्ग 10 किलो मीटर दूर है। गाँव का कुल रकबा 13000बीघा है जिसमें से लगभग 4100 बीघा लुहाच परिवार के पास है। सारी जमीन नहरी और उपजाऊ है। सुंदर ब्रांच और उस के सब माइनर तालू-सिवाड़ा लिंक द्वारा पूरी जमीन की सिचाई होती है। लोगों का मुख्य कारोबार खेती बाड़ी है। इसके अलावा सेना, पुलिस और अन्य सरकारी नोकरी पर काफी लोग कार्यरत हैं। सिवाड़ा के पूर्व में तालू, पश्चिम में खेड़ी, उतर में कूण्ड और दक्षिण में पुर गाँव की सीमा लगती है। सब गाँव से पक्की सड़क से संपर्क है। गाँव की कुल आबादी लगभग 10000 लोगों की है जिसमें से लगभग 250 परिवार लुहाच गौत्र के हैं। गाँव में वैसे तो राजपूत, पंडित, सिंगरोहा और राड़ गौत्र के लोग भी हैं लेकिन लगभग 50% आबादी लुहाच गौत्र की है। गाँव में पाँच मंदिर, एक माध्यमिक स्कूल,एक दवाखाना, एक पशु चिकित्सालय, एक पुस्तकालय और तीन जोहड़ हैं।


इस गाँव के प्रथम लुहाच पुरुष(पूर्वज) चरखी दादरी के नाँधा गाँव से आए थे। तब से अब तक लुहाच गौत्र की 10 वीं पीढ़ी चल रही है। नाँधा की वंशावली के अनुसार 30 वीं पीढ़ी में भूरा राम लुहाच के तीन पुत्र थे। जिनके नाम प्रेमा राम, लोदी राम और सावल राम थे। 17 वीं शताब्दी के अन्त और 18 वीं शताब्दी के आरम्भ में नाँधा गाँव से लुहाच गौत्र के लोगों का बहुत तादाद में पानी की तलास में विस्थापन हुआ था। इसी दौरान लगभग 1800 ईस्वी में बड़ा भाई प्रेमा राम नाँधा में ही रह गया जबकि लोदी राम और सावला राम सपरिवार बाढ़डा, दादरी होते हुए बवानी खेड़ा के पास सिवाड़ा गाँव में गए। उस समय राजपूतों के थोड़े से परिवार थे। समय के साथ साथ लुहाच गौत्र की आबादी में काफी बढ़ोतरी हुई जबकि राजपूतों की आबादी तुलनात्मक कम हुई। यही कारण है कि आज इस गाँव में 50% आबादी लुहाच गौत्र की है।