इतिहास

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सारगोथ गाँव का इतिहास

 

सारगोथ गाँव राजस्थान के सीकर जिले की खडेला तहसील का एक घनी आबादी का गाँव है जो कि जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर और तहसील मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके पूर्व में सींगोथ, इटावा, उत्तर में सीमाला, दक्षिण में ढ़ोडसर और पश्चिम में रींगस कस्बा की सीमा लगती है। रींगस इस गाँव का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह गाँव जयपुर-सीकर मार्ग पर सीकर से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गाँव की आबादी लगभग 12000 लोगों की है जिसमें से लुहाच गौत्र के लगभग 55 लोग रहते हैं।  इस गाँव में लुहाच के आलावा बागड़िया, बाजिया, कुड़ी, हरितवाल, महरिया, कलवानिया, बलोदा और बेनीवाल गौत्र के लोग भी रहते हैं। इस गाँव की सीमा बहुत बड़ी है जिसका रकबा लगभग 52000 पक्का बीघा है जिसमें लुहाच परिवार के पास 70 बीघा जमीन है। सारी जमीन बरानी है जिसकी सिचाई बोरिंग वेल से माइक्रो इरिगेसन तकनीक की फवारा प्रणाली से सिचाई होती है। इस गाँव में 10 मंदिर, 2 तालाब, 1 स्कूल, 1 हस्पताल, 1 पशु हस्पताल, 1 चौपाल और 10 आंगनबाड़ी केंद्र हैं।


इस गाँव के प्रथम लुहाच पुरुष गोलू राम नागौर जिले की ठाकरिया की ढाणी से 1850 ईस्वी में सपरिवार आए थे। ठाकरिया की ढाणी जिसका नया नाम भींवपुरा है कि वंशावली के मुताबिक 33 वीं पीढ़ी में दीपा राम लुहाच पैदा हुए उसका एक ही बेटा था जिसका नाम गोलू राम था। गोलू राम सपरिवार सारगोथ गाँव में आकर बस गए थे। बाद में गोलू राम का पोता राधू राम 1950 ईस्वी में खाटू श्याम में आकर बस गया था।