इतिहास

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रिटोली गाँव का इतिहास

 

रिटोली गाँव हरियाणा के रोहतक जिले का एक मध्यम आबादी वाला गाँव है जो कि जिला मुख्यालय से रोहतक-बेरी मार्ग पर 14 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। इसके पूर्व में डीघल, उतर में बालन्द, पश्चिम में सुण्डाणा और दक्षिण में कबूलपुर गाँव की सीमा लगती है और इन सब गाँव से पक्की सड़क से संपर्क है। इस गाँव का कुल रकबा 4000 बीघा है जिसमें से लुहाच गौत्र के पास 250 बीघा है। सब जमीन नहरी है जिसकी सिचाई जवाहर लाल नहरु नहर से निकले भूतिया रजबाहा से होती है। इस गाँव की आबादी लगभग 4000 लोगों की है जिसमें से लुहाच गौत्र के 4 परिवार हैं। गाँव में लुहाच के अतिरिक्त सिगरोहा (सूघड़) और कालीरमण गौत्र के लोग रहते हैं। सिगरोहा गौत्र के पाना को सूघड़ पाना और कालीरमण गौत्र के पाना को गिरावड़ पाना बोला जाता है। लुहाच गौत्र सिगरोहा गौत्र का भाणजा है इस लिए यह भी सिगरोहा पाना में ही आता है। इस गाँव में एक प्राथमिक स्कूल, एक सीनियर सैकेडरी स्कूल, एक डिस्पेंसरी, एक पशु चिकित्सालय, छः चौपाल और पाँच जोहड़ हैं।


इस गाँव के प्रथम लुहाच पुरुष प्रेम सुख लगभग 1860 ईस्वी में झज्जर जिले के मारोत गाँव से आए  थे। मारोत गाँव की वंशावली के 33 वीं पीढ़ी के प्रेम सुख लुहाच की शादी रिटोली गाँव की सुधी कुमारी नाम की लड़की से हुई थी। सुधी कुमारी अपने माता-पिता की इकलोती संतान थी। उसके पिता के पास 250 बीघा जमीन थी। प्रेम सुख उसकी पत्नी सुधी देवी से चार लड़के पैदा हुए। इनके नाम पूरण सिंह, मल्ला सिंह, हजारी सिंह और धन्ना सिंह थे। क्योंकि इतनी बड़ी जायदाद का कोई वारिस नहीं था इस लिए सुधी के पिता ने अपनी बेटी को अपने पास बुलाकर सारी जायदाद उसके नाम कर दी। इस प्रकार रिटोली के लुहाच पूर्वज मारोत से रिटोली आए प्रेम सुख से अब तक लुहाच गौत्र की 7 वीं पीढ़ी चल रही है। रिटोली की वंशावली के किताब सिंह लुहाच के दो बेटे अजित सिंह लुहाच और हरेन्द्र सिंह लुहाच थे। दोनों होनहार पढे लिखे थे। हरेन्द्र सिंह ने बी बी एड करके अध्यापक की नोकरी कर ली। अजित सिंह का होनहार बेटा अरविंद लुहाच हरियाणा सरकार में नायब तहसीलदार के पद पर है।